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परिचय
हाल ही में, chemical shares में उल्लेखनीय तेजी आई है, जिसका मुख्य कारण सरकार का soda ash import policy पर सख्त रवैया है। यह कदम घरेलू कंपनियों, जैसे GHCL, टाटा केमिकल और DCW को भारी फायदा पहुंचा रहा है। इस नीति के अनुसार, soda ash अब ‘मुक्त’ की बजाय ‘प्रतिबंधित’ सूची में आ गया है और आयात की न्यूनतम कीमत 20,108 रुपये प्रति मीट्रिक टन तय की गई है।

सरकार की सख्ती और उसका प्रभाव
DGFT (Directorate General of Foreign Trade) के नए नियमों के अनुसार, soda ash import policy में बदलाव किया गया है। इसका सीधा असर घरेलू उद्योगों पर पड़ रहा है, जो अब तक China से कम कीमत पर soda ash आयात कर रहे थे।
निर्मल बंग सिक्योरिटीज के विशेषज्ञों के अनुसार, “यह बदलाव घरेलू कंपनियों के भौतिक लाभ के साथ-साथ बाजार में स्थिरता लाएगा।”
यह नीति घरेलू बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है और लंबे समय में स्थिरता लाएगी। -संदीपन व्यास, निवेशक विशेषज्ञ
घरेलू कंपनियों को लाभ
Soda ash ko ‘प्रतिबंधित’ सूची में डालने से GHCL, टाटा केमिकल और DCW जैसी कंपनियों को बड़ा फायदा हुआ है। इंट्राडे में इन कंपनियों के shares में 2% से 5% तक की तेजी दर्ज की गई।
GHCL का share NSE में 7.38% की बढ़त के साथ 723.50 रुपये पर बंद हुआ। Tata chemical भी 1.98% की बढ़त के साथ 1052.20 रुपये पर बंद हुआ।
वित्तीय नज़र से
विश्लेषकों का मानना है कि इस ppolicy से घरेलू soda ash उत्पादकों का रियलाइजेशन 10-20% तक बढ़ सकता है। अनुमान के मुताबिक, China में soda ash की कीमत लगभग 200-220 डॉलर प्रति मीट्रिक टन है, जिसके मुकाबले यह नीति भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाएगी।
नए नियमों से घरेलू उद्योग को राहत मिलेगी, और निवेशकों को दीर्घकालिक लाभ की संभावनाएं हैं। -अरुण गोयल
FAQ
- Soda ash क्या है?
Soda ash एक रासायनिक यौगिक है जिसका उपयोग कांच, डिटर्जेंट और रासायनिक उत्पादन में होता है। - Import policy में बदलाव क्यों?
China se dumping रोकने और घरेलू उत्पादकों को बचाने के लिए। - कौन सी कंपनियां प्रभावित हैं?
GHCL, टाटा केमिकल और DCW जैसी कंपनियों पर असर पड़ा है। - इस ppolicy का मुख्य उद्देश्य क्या है?
घरेलू बाजार को स्थिर करना और लोkal उत्पादकों की सुरक्षा। - क्या GHCL के shares में वृद्धि हुई?
हाँ, 7.38% की बढ़त दर्ज की गई। - कौन से सेक्टर soda ash का उपयोग करते हैं?
Glass, chemical aur detergent उद्योग। - आयात नीति में मुख्य बदलाव क्या है?
‘मुक्त’ से ‘प्रतिबंधित’ में परिवर्तन। - घरेलू बाजार के लिए लाभ क्यों है?
उत्पादकों का रियलाइजेशन बढ़ने की उम्मीद है। - Tata chemical का share कैसे प्रदर्शन कर रहा है?
1.98% की बढ़त दर्ज की गई है। - क्या न्यूनतम आयात मूल्य तय किया गया है?
हाँ, 20,108 रुपये प्रति मीट्रिक टन।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी Nsenews.in के डेटा पर आधारित है और सिर्फ जानकारी के उद्देश्यों के लिए ह
हमें उम्मीद है कि पाठक Chemical shares में वृद्धि के पीछे की नीति के प्रभाव को समझ पाएंगे, साथ ही घरेलू बाजार के भविष्य के बारे में एक साफ दृष्टिकोण प्राप्त करेंगे।